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साधारण कम्पोस्टिंग composting of home waste matarial

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कम्पोस्ट बनाने से पहले फार्म के जो भी कचरा उपलब्ध हों इकट्ठा कर लिया जाता है उस सारे को आपस में मिला दिया जाता है| फिर 15 से 20 फुट लम्बा, 5-6 फुट चौड़ा, 3-3 ½ फुट गहरा गड्डा बना लिया जाता है फिर कचरे कि एक फुट गहरी तह बिछा दी जाती है फिर उसे गोबर के घोल से अच्छी तरह गीला कर दिया जाता है| यही क्रम तब तक अपनाया जाता है जब तक कि कचरे का स्तर भूमि की सतह से 2-2 ½ फुट ऊँचा ना हों जाए| फिर ऊपर से इसे मिट्टी से ढक दिया जाता है| यदि गर्मी में गड्डा भरा हों तो 15-20 दिन के अन्तर पर 1-2 बार गड्डे में पानी छोड़ देना चाहिए ताकि कचरे को गलाने के लिए पर्याप्त नमी बनी रहे| वर्षा ऋतु तथा जाड़ोंमें पानी डालने कि आवश्यकता नहीं | लगभग 4 माह में खाद तैयार हों जाएगी| जिसमे 0.5 प्रतिशत नाइट्रोजन, 0.15 प्रतिशत फास्फोरस तथा 0.5 प्रतिशत पोटाश होगी|

नाडेप कम्पोस्ट बनाने की विस्तृत विधि। The detailed Method of Nadep Composting

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 | कम्पोस्ट बनाने का एक न्य विकसित तरीका नाडेप विधि है जिसे महारास्ट्र के कृषक नारायण राव पांडरी पाडे (नाडेप काका) ने विकसित किया है | नाडेप विधि में कम्पोस्ट खाद जमीन की सतह का टांका बनाकर उसमें प्रक्षेत्र अवशेष तथा बराबर मात्रा में खेती की मिट्टी तथा गोबर को मिलाकर बनाया जाता है | इस विधि से 1 किलो गोबर से 30 किलो खाद चार माह में बनकर तैयार हो जाती है | नाडेप कम्पोस्ट निम्न प्रक्रिया द्वारा तैयार किया जाता है | टांका बनाना : नाडेप कम्पोस्ट का टांका उस स्थान पर बनाया जाये जहाँ भूमि समतल हो तथा जल भराव की समस्या न हो | टांका के निर्माण हेतु आन्तरिक माप 10 फीट लम्बी, 6 फीट चौड़ी और 3 फीट गहरी रखनी चाहिए | इस प्रकार टांका का आयतन 180 घन फीट हो जाता है | टांका की दीवार 9 इंच चौड़ी रखनी चाहिए | दीवार को बनाने में विशेष बात यह है की बीच बीच में यथा स्थान छेद छोड़ें जाएँ जिससे की टांका में वायु का आवागमन बना रहे और खाद सामग्री आसानी से पक सकें | प्रत्येक दो इंटों के बाद तीसरी ईंट की जुड़ाई करते समय 7 इंच के छेद छोड़ देना चाहिए | 3 फीट ऊँची दीवार में पहले, तीसरे, छठे और नवें रददे में छे